Thursday, July 9, 2009

नयन ..

चित चोर चकोर वो चंद्र नयन -
करता जिनमें जीवन नर्तन,
चंदा सी शीतल ज्योति लिए -
तो कभी सूर्य सा ताप लिए,
श्वासों का हर सा लें स्पंदन -
थम जाए ह्रदय खो जायें वचन,
मृगनयनी ! ...
मोंती क्यूँ व्यर्थ लुटाती हो -
भर दो इनसे मेरा प्याला,
हर अश्रु सोम है -
नयन तेरे हैं इन्द्र लोक की मधुशाला ...

1 comment:

  1. tumko itni hindi atti ha woooowww :D tumne likha ha to good one

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